गोवत्स दिनेद्र गोपाल
1. नाम = गोवत्स दिनेद्र गोपाल ( दिनेश )
2. आध्यात्मिक गुरु= परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान ग्वाल संतश्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज जी
3. जन्म दिनांक =13-5-2006
4. जन्म स्थान =ताना भोपाल सागर चित्तौड़गढ़ राजस्थान
5. लौकिक शिक्षा = B.A. अध्ययनरत
6. आध्यात्मिक शिक्षा= परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान ग्वाल संत श्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज जी के सानिध्य में गौ-कथा, श्रीमद्भगवत गीताजी, साधन निधि, वेदांत सत्संग का अध्ययन-श्रवण वर्ष 2024 में किया।
सामान्य जीवन से अध्यात्म यात्रा :-
प्राप्त वर्तमान शरीर का जन्म एक सामान्य किसान परिवार में हुआ। परिवार की पृष्ठभूमि में धार्मिकता का अभाव था, इस कारण ईश्वर में श्रद्धा नहीं थी, जीवन नास्तिकता से युक्त था। बात अगर गो-सेवा की करें, तो प्रारंभिक जीवन में किसी भी प्रकार की गो-सेवा नहीं थी। यहाँ तक कि गोमाता की सेवा क्यों व कैसे की जाती है इसका भी ज्ञान नहीं था। मैं कक्षा दसवीं में अध्ययनरत था, उस समय परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान ग्वाल संतश्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज जी के के श्रीमुख से प्रथम बार गो कृपा कथा श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कथा में गौमाता की वर्तमान स्थिति को जानकर ह्रदय अत्यंत व्याकुल हुआ कि गोमाता कत्लखानों में कट रही है, सड़कों पर पॉलिथीन खाकर प्राण त्याग रही है, भूखी प्यासी दर-दर भटक रही है, गोमाता की दु:खद लीला सुनने के बाद ह्रदय मे गो-सेवा का भाव जगा। मन में यह भाव जागृत हुआ कि गौमाता की सेवा करनी चाहिए। अत: मैंने भगवती गोमाता से प्रार्थना की कि हमें सेवा करने का सौभाग्य प्रदान करें। भगवती गौमाता ने विनती स्वीकार की व सेवा का शुभ अवसर प्रदान किया।
कोरोना नाम की महामारी के दौरान मेरा स्वास्थ बिगड़ गया, बीमारी ने मुझे अपनी चपेट में ले लिया। ऐसा आभास हो रहा था कि जैसे अब यह शरीर अधिक समय तक साथ नहीं निभाएगा। उस वक्त मैंने भगवती गोमाता से प्रार्थना की कि मैं इस बीमारी से स्वस्थ हो गया तो आगे का जीवन गो-सेवा में समर्पित कर दूंगा। भगवती गौ माता ने मेरी पुकार प्रार्थना को श्रवण किया और उनकी कृपा से मेरे स्वास्थ्य में सुधार हुआ। उसी समय से मैंने गो-सेवा करना प्रारंभ कर दिया।
मुझे जब ज्ञात हुआ कि श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित कामधेनु गौ अभयारण्य, सालरिया, आगर-मालवा, मध्य प्रदेश, में परम पूज्य गुरूदेव भगवान के मुखारविंद से एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव चल रहा है, तब परम पूज्य गुरुदेव भगवान के दर्शन की उत्कंठ अभिलाषा लेकर के मैं वहाँ पहुंच गया। गो-कृपा कथा सुनकर सम्पूर्ण जीवन परिवर्तित हो गया, मानो नया जीवन प्राप्त हो गया।
कामधेनु गौ अभयारण्य, सालरिया, आगर-मालवा, मध्य प्रदेश, में रहकर पूज्य गुरुदेव भगवान के सानिध्य में गो-कथा का अध्ययन करने का अवसर गुरु कृपा से प्राप्त हुआ परम पूज्य गुरुदेव भगवान की प्रेरणा से मन गौ-सेवा के भावों से भर गया।
तन, मन, धन, वचन, वाणी, कर्म, जैसे भी बन पड़े गौमाता की सेवा में सतत लगे रहना अब जीवन का एकमात्र यही लक्ष्य है।
जिम्मेदारियां :-
वर्तमान में गुरुदेव भगवान द्वारा निम्न दायित्व दिया गया है
1. 43 नियमों का पालन करते हुए गो कथा द्वारा जन जागृति करना।
कार्य सिद्धि हैतू संकल्प :-
1. गोवर्ती प्रसादी का ही प्रयोग करना।
2. पूर्ण व्यसनमुक्त होकर जीवन-यापन करना।
3. गो-सेवा & गो-दर्शन करके प्रसादी ग्रहण करना।
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