गोवत्स गौरव गोपाल
नाम:- गोवत्स गौरव गोपाल
जन्म दिनांक :- 24 सितंबर 1999
जन्म तिथि :- चतुर्दशी (चौदस)
जन्म स्थान :- गांव पथैना, जिला धौलपुर, राजस्थान
शरीर का पूर्व नाम :- गौरव परमार
College name :- दलीप सिंह परमार
एज्युकेशन :-
1. political science (M.A.) P.G. college dholpur,
Maharaja Surajmal Brij University bharatpur (Raj.)
आध्यात्मिक शिक्षा अध्ययन :-
•परम् पूज्य सद्गुरुदेव भगवान ग्वाल संत श्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज जी के सानिध्य में गीता, एवं साधन निधि ओर गो कृपा कथा का अध्ययन किया
सामान्य लौकिक जीवन से गोमाता एवं गुरु देव भगवान के सानिध्य तक की यात्रा:-
मुझे प्राप्त वर्तमान शरीर का जन्म 24 सितंबर 1999 में राजस्थान के धौलपुर जिले के गांव पथैना में क्षत्रिय परिवार में हुआ। परिवार की पृष्ठभूमि आध्यात्मिक होने के कारण ठाकुर जी की सेवा, आरती, पूजा इत्यादि धार्मिक कार्यों को बाल्यकाल से ही करने का सौभाग्य मिला। इसके कारण बचपन से ही भगवान के प्रति आस्था, विश्वास, श्रद्धा धीरे-धीरे बढ़ने लगी, लेकिन बात यदि गो-सेवा की करें, तो दूर-दूर तक गोमाता के प्रति कोई मातृत्व भाव नहीं था, क्योंकि भगवती गौमाता ने मुझे अपनी सेवा से अनभिज्ञ रखा। कभी गौमाता की महिमा को जानने का अवसर नहीं मिला। वर्ष 2015 में हमारे घर के बाहर एक गोमाता आई और मेरी माताजी ने उन गौमाता को घर में विराजमान कर लिया। जीवन धीरे-धीरे आगे बढ़ा। कोरोना नाम की महामारी जब पूरे विश्व में फैली तब सभी लोगों का घर से निकलना दुश्वार हो गया। बीमारी से बचने के लिए सरकार द्वारा लोगों को घरों में ही रुकने का सक्त आदेश मिला। इस दौरान एक दिन मेरी छोटी बहन मोबाइल पर साध्वी कपिला गोपाल सरस्वती दीदी जी मुखारविंद से गौ माता की कथा श्रवण कर रही थी और पूज्या दीदीजी ने उस समय कहा कि
“”हमारे परम् पूज्य गुरुदेव भगवान कहते हैं””” जब ये शब्द मेरे कानों में पड़े, ऐसा लगा मानो सबकुछ मिल गया हो। तत्पश्चात् साध्वी कपिला गोपाल सरस्वती दीदी के माध्यम से हमको परम् पूज्य गुरुदेव भगवान के दर्शन हुए। परम पूज्य गुरुदेव भगवान के मुखारविंद से सप्त दिवसीय गो कृपा कथा श्रवण करने का लाभ मिला। गुरुदेव भगवान की वाणी के माध्यम से ये ज्ञात हुआ कि गो माता कितनी दिव्य है, गौमाता भगवान की भी इष्ट है और आज वर्तमान में ज्ञान के अभाव में हम उनकी दिव्य महिमा को ना जानते हुए मां के साथ पशुतुल्य व्यवहार कर रहे हैं, जो की पूर्णतया गलत है। भगवती गौमाता की कृपा से जीवन गौ-सेवा की और मुड़ने लगा। थोड़ी लघु सेवा मां ने कृपा करके प्रदान की और उस लघु सेवा के बदले में भगवती गौमाता ने भगवत्स्वरूप सतगुरुदेव भगवान से मिलन करवाया।
3 जुलाई 2023 को उज्जैन में भारत माता मंदिर में परम पूज्य ग्वाल संत श्री गोपालाचार्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज के श्री चरणों में समर्पित होते हुए मंत्र दीक्षा प्राप्त की।
भगवती गौमाता की अद्भुत दिव्य महिमा को कथा के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने के भाव हृदय में जागृत हुए। अपने मन के भावों को माताजी के समक्ष रखने पर माताजी ने सहज स्वीकृति प्रदान की और परम पूज्य गुरुदेव भगवान के सानिध्य में एक वर्ष तक गो कृपा कथा श्रवण करने एवं अध्ययन करने का सौभाग्य कामधेनु गौ अभयारण्य, सालरिया, आगर-मालवा, मध्य प्रदेश, मैं चल रहे वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के दौरान प्राप्त हुआ। इसी दौरान भगवती गौ माता की अद्भुत कृपा मुझ ग्वाल पर हुई और परम पूज्य गुरुदेव भगवान के माध्यम से चल रही विश्व की सबसे पहली लम्बी व सबसे बड़ी पदयात्रा “”31 वर्षीय गो पर्यावरण एंव अध्यात्म चेतना पदयात्रा”” का हिस्सा बनकर के एक माह तक पैदल चलने का तथा भगवती गौमाता की महिमा का प्रचार करने का सौभाग्य भी मिला।
गुरुदेव भगवान की प्रेरणा से अब जीवन का एकमात्र लक्ष्य यह है की (गृहस्थी बस जाने के कारण) गृहस्थ जीवन में रहते हुए गौ माता की तन से, मन से, धन से, वाणी से जिस प्रकार भी हो सके, निष्काम भाव से सेवा करना।
जिम्मेदारीयां :-
• 43 नियमों का पालन करते हुए गौ कृपा कथा के माध्यम से गौ महिमा का प्रचार कर जन मानस जागृत करना।
कार्य सिद्धि हेतु संकल्प :-
1. गोवृती प्रसादी का ही प्रयोग करना।
2. पूर्ण व्यसनमुक्त होकर जीवन-यापन करना।
3. गो-सेवा & गो-दर्शन करके प्रसादी ग्रहण करना।